यह कैसा इतिहासबोध
जो कि नरेन्द्र मोदी जी को RSS के
कट्टर विरोधी एवं
कांगेस सेवा दल का सदस्य बताएँ ?
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किस के इशारे पर झडफिया,
चिखलिया और भावना दवे ने
नारे लगाए थे “अटल जी की धोती, बिकी आठ करोड़ में”?
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माननीय श्री नरेन्द्र मोदी की राज्य एवं केंद्र
सरकार के मान्यताप्राप्त इतिहासविद गुरुवर्य श्री विष्णु पंड्या के ग्रन्थ “त्रीजी
शक्तिनो सूर्योदय” में श्री मोदी जी को न केवल “ कालेज के दिनों में संघ (RSS) का
कट्टर विरोधी” और “कांग्रेस सेवा दल का सदस्य” बताया गया है, बल्कि मोदी जी को
“संविधान से ऊपर (Extra Constitutional)” भूमिका में दर्शाया गया है. श्री पंड्या संघ-विचार के
गुजराती साप्ताहिक “साधना” के संपादक भी रहे हैं और माननीय श्री शंकरसिंह ने बगावत
कर खजुराहो कांड किया तब बापू के अनन्य साथी भी रहे हैं. आप हाल ही में पद्मश्री से सम्मानित हुए हैं.
हम किसी दलविशेष से कभी सम्बन्ध नहीं रखे हैं,
किन्तु शालेय दिनों से कभी स्वयंसेवक रहे और मुंबई में पत्रकारिता में हमारा
संवर्धन संघविचार की राष्ट्रीय संवाद समिति “हिन्दुस्थान समाचार” के हिंदी विभाग
में माननीय वरिष्ठ प्रचारक जी श्री राम शंकर अग्निहोत्री जी एवं गुजराती पत्रसमूह “जन्मभूमि”
में संपादक जी श्री हरीन्द्र दवे ने बखूबी
किया. नब्बे के दशक में मुंबई में JVPD
में VHP अध्यक्ष एवं
उद्योगपति मित्र श्री रमेश मेहता जी के निवास पर प.पू. श्री बालासाहब देवरस जी के
साथ एक बैठक में माननीय डॉ.मुरली मनोहर जोशी जी की एकात्मता यात्रा के लिए
कन्याकुमारी जा रहे श्री मोदी जी से पहली बार मुलाकात हुई. श्री मेहता जी के
माध्यम से परिचय के वक्त आपका प्रतिभाव था
: ” में जानता हूँ –आप ज़ेवियर्स (अहमदाबाद) में थे और मै समाज विद्याभवन में था.”
हमें तब आश्चर्य हुआ था. श्री मोदी जी तब हमारे तहसील के ही वड़नगर के और हम खेरालु के, लेकिन शायद कभी
मिलाना हुआ नहीं था. बाद में श्री नरेन जी से संपर्क बना रहा और मेरे अखबार
“समकालीन”(इन्डियन एक्सप्रेस ग्रुप) के साहित्योत्सव में भी आप अतिथि वक्ता के
नाते पधारे थे.तब आप अखिल भारतीय महासचिव (संगठन) का दायित्व निभा रहे थे.
माननीय श्री केशुभाई पटेल एवं माननीय श्री
नरेन्द्रभाई की सरकार में हम राज्य के NRG
Foundation, एनआरजी /एनआरआई बोर्ड के पूर्ण term के लिए संस्थापक अध्यक्ष रहे, तब भी हमें श्री मोदी जी के “RSS के कट्टर
विरोधी एवं कांगेस सेवा दल के सदस्य होने के
इतिहास की भनक भी लगी न थी. हम आज भी गुरुवर्य के ग्रन्थ में प्रस्तुत
इतिहास को मानने के लिए तैयार नहीं हैं,
फिर भी गुरुवर्य ने इतिहासबोध की चर्चा करते हुए जो कुछ लिखा है उसे आप से शेयर तो
कर ही सकते हैं !
ग्रन्थ में रहस्योद्घाटन की एक झलक :
“
भाजपा के अत्यंत वरिष्ठ और आदरणीय नेता
श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब समझौता कराया तो मोदी-केशुभाई प्रेरित कार्यकर्ताओं
ने, जिसमें विधायक गोरधन झडफिया, सांसद भावनाबेन चिखलिया एवं अहमदाबाद की मेयर
भावना दवे भी थे, सर्कीट हाउस आकर अटल जी की गाडी का विरोध किया और सूत्रोच्चार
किया ‘अटल जी की धोती, आठ करोड़ में बिकी’. ये लोग नजदीक में आये हुए मुख्या मंत्री
(केशुभाई) के निवास से आ पहुचे थे, जहाँ नरेन्द्र मोदी बैठकर इस गतिविधि का
सञ्चालन कर रहे थे.”
ह. ४ अगस्त २०१७
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